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Meeting: आखिर क्यों टूट रहा है 58 साल का इतिहास, तो इन कारणों से बुला रही सरकार सत्र

Meeting: हरियाणा में चुनावों की तारीख की घोषणा हो चुकी है, लेकिन 13 सिंतबर को प्रदेश में विधानसभा का सत्र बुलाया जा रहा है. हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली ही बार होगा, जब चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद मौजूदा सरकार सत्र आयोजित करेंगी.

वहीं इसको लेकर राजनीति के गलियारों में चर्चा शुरु हो गई है. सब जानता चाहते है कि क्या सत्र बुलाया जा सकता है. तो आईए हम बताते है.

बता दें कि 14वीं हरियाणा विधानसभा यानी मौजूदा सरकार का कार्यकाल तीन नवंबर तक है. वहीं इस सरकार का पिछला सत्र एक दिन के लिए 5 महीने पहले बुलाया गया था जब नायब सैनी सीएम बने थे.

क्या अब चुनावी घोषणा के बाद सत्र बुलाया जा सकता है तो इसका जवाब भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अनुपालन में मौजूद है. इसके अनुसार विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन का ही क्यों ना हो, 13 सितंबर से पहले बुलाया जा सकता है यह संविधान के उपरोक्त अनुच्छेद के अंतर्गत अनिवार्य है।

वैसे ये हरियाणा के करीब 58 वर्ष के इतिहास में पहली बार होगा जब चुनाव आयोग द्वारा अगली विधानसभा की तारीख घोषित होने के बाद प्रदेश के मौजूदा विधानसभा का सत्र बुलाया जा रहा है.

आखिर जरुरत क्या है इस सत्र की


देखिए इस सत्र के द्वारा प्रदेश सरकार हरियाणा के राज्यपाल से कुल पांच अध्यादेश यानी आर्डिनेंस भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में करवाए गए हैं, जिन्हें पास कराना बेहद ही जरूरी है।

राज्यपाल ने जो पांच ऑर्डिनेंस जारी किए हैं, उनमें सबसे अहम है कांटेरैक्ट यानी की संविदा के आधार पर काम कर रहे कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करना जो सरकार का सबसे अहम अध्यादेश है.

दूसरा है प्रदेश के नगर निकायों जैसे नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करना. जिसके बारे में कुल तीन अध्यादेश हैं। इन पर भी मोहर लगनी जरुरी है.

पांचवा है प्रदेश में शामलात जमीन संशोधन का अध्यादेस. हाल ही में इन सभी को प्रदेश के राज्यपाल द्वारा 14 अगस्त को स्वीकृति प्रदान की गई थी,

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