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Haryana Vidhan Sabha: आखिर देश के इतिहास में दर्ज हुआ हरियाणा, भंग हो गई विधानसभा, जानिए क्यों

  1. विधानसभा भंग क्यों करनी पड़ी? हरियाणा के लिहाज से देखें तो यहां 13 मार्च 2024 को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। जिसमें CM नायब सैनी ने बहुमत साबित किया। इसके बाद 6 महीने के भीतर यानी 12 सितंबर तक हर हाल में दूसरा सेशन बुलाना अनिवार्य था। सरकार ऐसा नहीं कर सकी।
  2. सरकार ने सेशन क्यों नहीं बुलाया?
    इसकी 2 वजहें हैं…
  3. संवैधानिक बाध्यता के बावजूद सरकार सेशन इसलिए नहीं बुला सकी क्योंकि अचानक 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। सरकार इसे भांप नहीं पाई। 17 अगस्त की जिस कैबिनेट में सरकार को सेशन के लिए फैसला लेना था, उससे एक दिन पहले ही 16 अगस्त को चुनाव आचार संहिता लग गई। जिसके बाद चुनावी गतिविधियां बढ़ गई और सरकार ने सेशन नहीं बुलाया।
  4. 90 सदस्यों की विधानसभा में अभी 81 विधायक हैं। 41 के बहुमत का आंकड़ा अकेले BJP के ही पास था, लेकिन BJP ने इस बार 14 विधायकों के टिकट काट दिए। ऐसे में सरकार कोई प्रस्ताव लाती तो वहां क्रॉस वोटिंग के चलते यह गिर सकता था। इस स्थिति से सरकार को शर्मसार होने की नौबत आ जाती।
  5. सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था?
    नहीं, संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि पिछले सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। हरियाणा में सरकार की ओर से पिछली कैबिनेट बैठक में मानसून सत्र पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। ऐसे में सरकार के पास हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।
  6. इस फैसले का CM, मंत्रियों और विधायकों पर क्या असर होगा ?
    विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वे पूर्व विधायक कहलाएंगे। सभी सुविधाएं खत्म हो जाएगी। सीएम नायब सिंह सैनी व मंत्री कार्यवाहक के तौर पर कार्य करते रहेंगे, लेकिन वे कोई नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। हालांकि, कोई महामारी, प्राकृतिक आपदा या असुरक्षा जैसा मामला आता है तो फैसला लेने में सक्षम रहेंगे।
  7. हरियाणा में पहले भी विधानसभा भंग हुई?
    हां, पहले ऐसा 3 बार हो चुका है। संवैधानिक मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार बताते हैं कि फरवरी 1972 में कांग्रेस सरकार में बंसीलाल ने एक साल पहले विधानसभा भंग कराई थी। दिसंबर 1999 में इनेलो सरकार में ओमप्रकाश चौटाला ने 16 माह पहले विधानसभा भंग कराई। तीसरी बार अगस्त 2009 में कांग्रेस सरकार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा भंग कर समय से पहले चुनाव कराए।

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