Election2024: नूहं जिला हरियाणा राज्य के 22 जिलों में से एक है। इसमें 1,860 वर्ग किलोमीटर (720 वर्ग मील) और 10.9 लाख जनसंख्या का क्षेत्रफल है। यह उत्तर में गुड़गांव जिले, पश्चिम में रेवाड़ी जिला और पूर्व में फरीदाबाद और पलवल जिलों से घिरा है। यह मुख्य रूप से मेओस, जो कि कृषिवादी हैं, और मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है.
नूंह को पहले मेवात के नाम से जाना जाता था. 4 अप्रैल 2005 को मेवात, नूंह में बदल गया, नूंह जिला गुरुग्राम और फरीदाबाद के हथिन को जोड़कर नया जिला बनाया गया था.
मेवात एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसमें प्राचीन मत्स्य-देश और सुरसेन का हिस्सा है या हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान का आधुनिक दक्षिणी भाग है। मेवात ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो दिल्ली के दक्षिण में स्थित है, इसका नाम इसके निवासियों, मेओस से लिया गया है
नूंह में एक प्रसिद्ध नल्हर शिव मंदिर भी है दूसरा चुई माल का तालाब जो काफी प्रसिद्ध है.
राजनीति के हिसाब से देखा जाए तो यह मुस्लिम बहुल सीट है. यहां से आजतक मुस्लिम ही विधायक बनते आए है. वैसे ये सीट खुर्शीद अहमद व रहीम खान के परिवार के बीच राजनैतिक जोर आजमाइश के लिए भी याद रखी जाती है.
आईए अब बात करते है किस प्लान में कौन विधायक रहा.
हरियाणा प्रदेश के गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी रहीम खान ने जीत हासिल की थी। रहीम खान ने कांग्रेस के उम्मीदवार खुर्शीद अहमद को हराया था
1972 के आम चुनाव में भी रहीम खान ने दोबारा जीत हासिल की थी रहीमखान ने यहां से कांग्रेस के खुर हैद अहमद को 1800 से ज्यादा वोटों से हराया था.
साल 1977 में जनता पार्टी से सरदार खान ने चुनाव लड़ा, सरदार खान रहीम खान के भाई थे. इनको यहां से 15457 वोट मिली जबकि निर्दलीय दिन महोम्मद को यहां से 13699 वोट मिली थी.
1982 में यह सीट निर्दलीय के खाते में गई. य़हां से रहीम खान ने कांग्रेस की टिकट से लड़ रहे सरदार खान को 1138 वोटों से हराया था.
1987 में लोकदल के खुर्शीद अहमद ने कांग्रेस के मोहम्मद इलियास को 27970 वोटो के भारी अंतर से हराकर सीट पर कब्जा किया.
1991 के आम चुनाव में यहां पर मोहम्मद इलियास ने जीत का परचम लहराया. कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे मोहम्मद इलियास ने आजाद प्रत्याशी हामिद हुसैन को यहां से हराया था.मोहम्मद इलियास को यहां से 17274 वोट मिले थे जबकि आजाद प्रत्याशी हामिद हुसैन 13031
1996 में हुए चुनाव में इस सीट से तकरीबन 47 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. यहां से AIIC(T) यानी All India Indira Congress (tiwari) पार्टी से खुर्सीद अहमद ने सोशल एक्शन पार्टी के हामिद हुसैन को 8000 से ज्यादा वोटों से हराया
2000 में प्रदेश में लोकदल की सरकार बनी थी. तब इस सीट से इनेलो के हामिद हुसैन ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस के खुर्सीद अहमद को 8400 से ज्यादा वोटों से हराया था
2005 में यह सीट आजाद के खाते में गई. आजाद प्रत्यासी हबीब उर ने यहां से कांग्रेस के आफताब अहमद को 4300 वोटो से हराया था.
2009 में यहां से आफताब अहमद ने परचम लहराया. आफताब ने यहां से भाजपा के संजय सिंह को हराया था
2014 के चुनाव में इस सीट से एक बार फिर लोकदल के खाते में गई. लोकदल के जाकिर हुसैन ने यहां से कांग्रेस के आफताब अहमद को बहुत बड़े अंतर से हराया था. जाकिर ने यहां से आफताब को 32700 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था
2019 में एक बार फिर फाइट जाकिर हुसैन और आफताब के बीच थी. आफताब ने यहां से जाकिर हुसैन को बड़े टफ मुकाबले में 4068 वोटों से हराया था
यहां से ज्यादातर मुकाबला लोकदल कांग्रेस के बीच रहा है. भाजपा ने आजतक यहां से खाता नहीं खोला है. जाकिर हुसैन के भाजपा में जाने से भाजपा को उम्मीद जगी थी लेकिन वो पूरी न हो सकी.. फिलहाल इस बार आफताब अहमद यहां से टिकट की रेस में आगे है..