CBSE Syllabus: सेंट्रल बोर्ड ऑफ एजुकेशन यानी CBSE ने क्लास 10वीं के स्टूडेंट्स के लिए मैथ्स (स्टैंडर्ड और बेसिक) के दो लेवल शुरू किए हैं। इससे स्टूडेंट्स के पास ऑप्शन है कि वो दोनों में से जो चाहें, वो सिलेक्ट कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी तर्ज पर जल्दी क्लास 9वीं और 10वीं के लिए साइंस और सोशल साइंस (स्टैंडर्ड और एडवांस्ड) सब्जेक्ट सिलेक्शन के लिए स्ट्रक्चर बनाया जा सकता है, जिसे एकेडमिक ईयर 2026-27 में लागू किया जाएगा। इस फैसले के बाद स्टूडेंट्स सब्जेक्टस सिलेक्ट कर पाएंगे।
CBSE करिकुलम की मीटिंग में दिया गया प्रपोजल
CBSE करिकुलम कमेटी की बैठक में ये प्रपोजल दिया गया था। बोर्ड, गवर्निंग बॉडी को इस पर अपना आखिरी फैसला देना है, यही बॉडी बड़े फैसले और फाइनल अप्रूवल देती है।
यदि इस पर फैसला आता है तो करिकुलम में चेंजेस का फॉर्मेट तय किया जाएगा। इससे स्टूडेंट्स के पास ऑप्शन होगा कि वे दोनों में से कौन सा ऑप्शन चुनना चाहते हैं।
इसमें अगर स्टूडेंट्स एडवांस लेवल सिलेबस सिलेक्ट करते हैं, तो उनका स्टडी मटेरियल, स्टैंडर्ड मटेरियल लेवल से अलग होगा और एग्जाम में क्वेश्चन भी अलग होंगे। हालांकि, CBSE ने अभी तक इसे फाइनलाइज नहीं किया है।
2025-26 में हो सकता है करिकुलम लागू
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CBSE नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (NCERT) के साथ मिलकर नेशनल करिकुलम के फ्रेम पर बातचीत होगी।
NCERT, स्कूली एजुकेशन और क्लास सिलेबस पर केंद्र सरकार को सलाह देता है। NCERT ने कक्षा पहली, दूसरी, तीसरी और छठी के लिए नया सिलेबस जारी किया है।
ऐसा माना जा रहा है कि 2025 की शुरुआत में कुछ और क्लासेज के लिए सिलेबस जारी किया जाएगा। ये फैसला नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अंतर्गत लिया गया है। जिसमें कहा गया है कि मैथ्स की तरह ही सभी सब्जेक्टस को दो लेवल में पेश किया जा सकता है, जिसमें स्टूडेंट्स अपने कुछ सब्जेक्टस को स्टैंडर्ड लेवल पर और कुछ को एडवांस्ड लेवल पर पढ़ पाएंगे।
ये विचार स्टूडेंट्स को कोचिंग में पढ़ने के प्रेशर को कम करने के लिए लाया गया है। इससे स्टूडेंट्स को एजुकेशन लेवल बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मैथ्स में स्टैंडर्ड और बेसिक का ऑप्शन पहले ही हो चुका है शुरू
2024-25 बोर्ड क्लास यानी 10वीं में दो लेवल पर एक ही सब्जेक्टस डेट है। इस मॉडल में,मैथ्स (स्टैंडर्ड) और मैथ्स (बेसिक)सिलेक्ट करने वाले स्टूडेंट्स के लिए सिलेबस इक्वल है। लेकिन क्वेश्चन पेपर और क्वेश्चन का लेवल बोर्ड एग्जाम में अलग-अलग होता है। ये सिस्टम 2019-20 अकेडमिक ईयर से शुरू हुआ था।
15 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स ने स्टैंडर्ड चुना
‘स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए’ नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, 2020 में कहा गया है कि मैथ्स के साथ ही सभी सब्जेक्टस को इसमें लाया जाएगा।
CBSE के डेटा के मुताबिक, 2023-24 परीक्षा में बेसिक लेवल (6,79,560 स्टूडेंट्स) की तुलना में गणित के स्टैंडर्ड लेवल के लिए 15,88,041 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया।
स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का प्रेशर कम होगा
सूत्रों के मुताबिक, क्लास 9वीं और 10वीं के लिए साइंस और सोशल साइंस को दो लेवल पर पेश करने की वजह ये है कि ऐसे स्टूडेंट्स इन सब्जेक्टस को पढ़ना चाहते हैं, उन्हें 11वीं क्लास में इन सब्जेक्टस में स्टैंडर्ड लेवल एजुकेशन की अनुमति देना है।
इसके साथ ही यदि इसे लागू किया जाता है तो स्टूडेंट्स को सब्जेक्ट चॉइस के लिए टाइम पीरियड भी दिया जाएगा। यदि वे स्टैंडर्ड लेवल पर नहीं पढ़ना चाहते तब वे अपना सब्जेक्ट स्विच भी कर सकते हैं।
स्टैंडर्ड लेवल स्टडी का मतलब एडिशनल लर्निंग है। जिसमें कोर्स को एडवांस बनाया जाता है। इसमें बेसिक सिलेबस से ज्यादा कोर्स होता है। इसके क्वेश्चन पेपर भी अलग होते हैं।