Govardhan Pooja: गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाता है, जिन्होंने इंद्र देवता को पराजित किया था और गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल के लोगों को वर्षा से बचाया था।
गोवर्धन पूजा की कथा:
कथा के अनुसार, गोकुल के लोग इंद्र देवता की पूजा करते थे और उन्हें वर्षा के लिए धन्यवाद देते थे। लेकिन भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि वर्षा की वजह से नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और गायों के वजह से उनकी फसलें उगती हैं। इससे इंद्र देवता क्रोधित हो गए और गोकुल पर वर्षा की सजा दी।
भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल के लोगों को वर्षा से बचाया। इस तरह, भगवान कृष्ण ने इंद्र देवता को पराजित किया और गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया गया।
गोवर्धन पूजा की परंपराएं:
गोवर्धन पूजा के दिन, लोग निम्नलिखित परंपराएं निभाते हैं:
- गोवर्धन पूजा के लिए घर को साफ और सजाते हैं।
- गोवर्धन पर्वत की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करते हैं।
- गायों की पूजा करते हैं और उन्हें खाना खिलाते हैं।
- परिवार के साथ मिलकर भोजन बनाते हैं और खाते हैं।
- दोस्तों और रिश्तेदारों को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं देते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व:
गोवर्धन पूजा का महत्व है:
- भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाना।
- गायों और कृषि की महत्ता को समझना।
- परिवार और समाज के साथ मिलकर जुड़ना।
- प्रकृति की रक्षा और संरक्षण की भावना को बढ़ावा देना।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहुर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में गोवर्धन पूजा का त्योहार 02 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-
प्रातःकाल मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से लेकर 02 बजकर 56 मिनट तक।
संध्याकाल मुहूर्त – दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 06 बजकर 30 मिनिट तक।
त्रिपुष्कर योग- रात्रि 08 बजकर 21 मिनट तक 3 नवंबर को सुबह 05 बजकर 58 मिनट तक।