Haryana Politics: हरियाणा-पंजाब के किसानों – खेत मजदूरों – आढ़तियों – मंडी मजदूरों – राईस मिल मालिकों को भाजपा ‘‘किसान आंदोलन’’ की सजा दे रही है। तीन खेती विरोधी काले कानूनों को आंदोलन कर खत्म करवाने व मोदी सरकार को झुकाने का बदला हरियाणा-पंजाब से लिया जा रहा है। इस षडयंत्रकारी मिलीभगत में हरियाणा व पंजाब की सरकारें शामिल हैं।
भाजपा के इस षडयंत्र के छः पहलू हैंः-
‘‘फूड व फर्टिलाईज़र सब्सिडी’’ को ही काट दिया जाए।
MSP पर धान की फसल खरीदी न कर MSP को चोर दरवाजे से खत्म कर दिया जाए।
हरियाणा-पंजाब के किसानों की MSP पर धान खरीद के रजिस्ट्रेशन में ही कटौती कर दी जाए।
हरियाणा-पंजाब की खेती को कम करने के लिए डीएपी-यूरिया खाद उपलब्ध न करवाई जाए।
मंडी के आढ़ती की रोजी-रोटी पर हमला करो – आढ़ती का कमीशन 2.5 प्रतिशत से काटकर 46 रुपया क्विंटल कर दो, ताकि धीरे-धीरे काम बंद हो जाए।
राईस मिलर के व्यवसाय में गतिरोध पैदा करो ताकि वो MSP पर खरीदे किसान के धान की खरीद व मिलिंग ही कम मात्रा में करें।
- सब्सिडी में कटौती करने का षडयंत्र
मोदी सरकार ने पिछले पाँच साल में ‘‘सब्सिडी’’, यानी ‘‘फर्टिलाईज़र-फूड-फ्यूल सब्सिडी’’ में ₹3,30,000 करोड़ की भयंकर कटौती कर दी है। साल 2020-21 के बजट में यह सब्सिडी जीडीपी का 3.8 प्रतिशत (सब्सिडी का बजट था ₹7,58,165 करोड़) थी, तो पाँच साल बाद साल 2024-25 के बजट में यह सब्सिडी कम कर जीडीपी का 1.3 प्रतिशत (सब्सिडी का बजट है ₹4,28,423 करोड़) कर दी गई। अर्थात सब्सिडी में कटौती की गई ₹3,29,742 करोड़। इसका नतीजा स्वाभाविक तौर से खेती और किसान को भुगतना पड़ रहा है।
‘‘फूड सब्सिडी’’ की मार तो और बड़ी है। केवल पिछले 2 साल में ही मोदी सरकार द्वारा ‘‘फूड सब्सिडी’’ में ₹78,000 करोड़ की कटौती कर दी गई। साल 2022-23 में बजट का फूड सब्सिडी पर खर्च था ₹2,83,745 करोड़, जो साल 2024-25 के बजट में कम करके कर दिया गया ₹2,05,250 करोड़। अर्थात ₹78,495 करोड़ की कटौती। इसकी कीमत कौन अदा करेगा – किसान व गरीब मजदूर।
- MSP पर फसल खरीदी कम करने का षडयंत्र
आज 29 अक्टूबर, 2024 तक के हरियाणा-पंजाब से MSP खरीद के आँकड़े चौंकाने वाले हैं। यह सारा डेटा भारत सरकार के “Central Food Grains Procurement Portal” पर उपलब्ध है (www.cfpp.nic.in) इसी से षडयंत्र साफ हो जाता है। पिछले साल के मुकाबले, आज तक पंजाब और हरियाणा से 82,88,450 मीट्रिक टन धान की खरीद कम हुई है।
हरियाणा
हरियाणा में MSP खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 4,19,532
29 अक्टूबर तक MSP पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या = 1,33,114
जिन किसानों से MSP पर फसल खरीद नहीं हुई, उनकी संख्या = 2,86,418
जब 3 लाख किसानों से MSP पर खरीद ही नहीं हुई, तो षडयंत्र साफ है।
हरियाणा में पिछले साल धान की खरीद हुई = 58,92,721 मीट्रिक टन
हरियाणा में 29 अक्टूबर तक धान की खरीद हुई = 37,23,352 मीट्रिक टन
यानी, 29 अक्टूबर तक धान की खरीद कम हुई = 21,69,369 मीट्रिक टन
हरियाणा में धान खरीद 15 नवंबर को बंद हो जाएगी। 1 नवंबर तक त्योहार का सीज़न है। 14 दिन में 22 लाख मीट्रिक टन धान खरीदना असंभव है। नतीजा साफ है, MSP पर धान खरीदी होगी ही नहीं।
पंजाब
पंजाब में पिछले साल धान की खरीद हुई = 1,11,03,434 मीट्रिक टन
पंजाब में 29 अक्टूबर तक धान की खरीद हुई = 49,84,353 मीट्रिक टन
यानी, 29 अक्टूबर तक धान की खरीद कम हुई = 61,19,081 मीट्रिक टन
यानी पिछले साल के मुकाबले में अब तक आधी खरीद भी नहीं हुई।
साल 2023-24 पंजाब में MSP खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 7,97,659
साल 2024-25 पंजाब में MSP खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 3,21,851
1 साल में ही MSP खरीद पर कम हुए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 4,75,808
MSP पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 60 प्रतिशत कम कैसे हो सकती है? यह अपने आप में षडयंत्र को उजागर करता है।
देश के भी यही हालात
साल 2023-24- 19 प्रांतों में MSP पर धान रजिस्टर करने वाले किसानों की संख्या = 1,11,03,434
साल 2024-25- 19 प्रांतों में MSP पर धान रजिस्टर करने वाले किसानों की संख्या = 51,20,405
1 साल में ही MSP खरीद पर कम हुए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 59,83,029
साल 2023-24- 19 प्रांतों में धान की खरीद हुई = 7,19,89,675 मीट्रिक टन
साल 2024-25- 29 अक्टूबर तक 19 प्रांतों में धान की खरीद हुई = 92,46,463 मीट्रिक टन
29 अक्टूबर तक MSP पर धान की खरीद कम हुई = 6,27,43,212 मीट्रिक टन
15 दिन में बाकी की खरीद कैसे हो पाएगी।
- आढ़तियों व मंडी मजदूरों की रोजी-रोटी खत्म करने का षडयंत्र
हरियाणा-पंजाब के आढ़तियों की रोजी-रोटी पर सिलसिलेवार हमला बोला जा रहा है ताकि बिहार की तर्ज पर मंडियाँ बंद हो जाएं और किसानों को फसल अडानी जैसी कंपनियों के साईलो पर बेचनी पड़े।
हरियाणा-पंजाब की अनाज मंडियाँ किसान को MSP मिलने की गारंटी है। इन मंडियों में लाखें मुनीमों, उठान व लदान करने वाले मंडी मजदूरों, छोटे-छोटे ठेकेदारों, झराई, तुलाई व सफाई करने वाले मजदूरों को भी रोजगार मिलता है। भाजपा सरकार ने एक षडयंत्र के तहत आढ़ती का कमीशन 2.5 प्रतिशत से काटकर 46 रुपया प्रति क्विंटल कर दिया है।
- राईस मिल मालिकों के व्यवसाय में गतिरोध करने का षडयंत्र
हरियाणा-पंजाब में लगभग 9,000 से अधिक राईस मिलर हैं। इनमें से अधिकतर PDS राईस मिलिंग का काम करते हैं। भाजपा सरकार व पंजाब-हरियाणा की सरकारों ने अलग-अलग हाईब्रिड किस्म का धान किसान को बिकवाया, विशेषतः पीआर-126 किस्म का धान पंजाब सरकार ने बिकवाया। भाजपा सरकार के नॉर्म्स के मुताबिक राईस मिलर को पीडीएस का धान 1 क्विंटल पर 67 प्रतिशत सरकार को देना है। पर राईस मिलर एसोसिएशन के मुताबिक यह 62 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। मोदी सरकार ने धान के पूरे सीज़न में इसका कोई हल नहीं निकाला व धान की बिक्री के बाद इसकी जाँच बारे एक कमिटी बैठा दी। न रिपोर्ट आई, न गतिरोध समाप्त होगा, और न ही किसान की फसल MSP पर खरीदी जाएगी।
- MSP पर धान न खरीदने का षडयंत्र
ऊपर लिखी सारी मुश्किलात के चलते MSP पर धान की खरीद हो ही नहीं रही। ₹2300 प्रति क्विंटल पीआर धान का MSP है, पर किसान को ₹2000/₹2100 प्रति क्विंटल ही मिल पाया। 1509 किस्म के धान में तो ₹600/700 प्रति क्विंटल का नुकसान है।
हरियाणा में श्री नायब सैनी व भाजपा ने यह कहकर वोट लिया कि 8 अक्टूबर के बाद धान ₹3100 प्रति क्विंटल के MSP पर खरीदा जाएगा। पर सच यह है कि ₹2100 प्रति क्विंटल भी नहीं मिल रहा।
मोदी सरकार व हरियाणा-पंजाब की सरकारें इस किसान – खेत मजदूर – आढ़ती – मंडी मजदूर – राईस मिलर विरोधी षडयंत्र तथा MSP खत्म करने की साजिश का जवाब दें।