Haryana: भाजपा के संसदीय बोर्ड ने हरियाणा में चल रहे आंतरिक कलह को शांत करने के लिए अमित शाह व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को पर्यवेक्षक बनाया है. जो 16 अक्टूबर को हरियाणा में बीजेपी के विधायक दल की मीटिंग में हिस्सा लेंगे.
ऐसा भाजपा में पहली ही बार हुआ है जब किसी केंद्रीय नेत़त्व के दूसरे नंबर के नेता को कहीं पर्यवेक्षक बनना पड़े. पहले दिल्ली से मिले आदेश के बाद किसी राज्य में विधायक दल का नेता चुन लिया जाता था लेकिन इस बार खुद अमित शाह को आगे आना पड़ा है. यानी उनकी अगुवाई में ही विधायक अपना नेता चुनेंगे.
लेकिन सवाल ये है कि अमित शाह तो खुद विधानसभा चुनाव से काफी पहले हुई पंचकुला मीटिंग में नायब सिंह सैनी को सीएम चेहरा घोषित कर चुके थे तो फिर आखिर इतनी जद्दोजहद क्यों हो रही है?
दरअसल खबरों की मानें तो जीत के बाद से कुछ दिग्गज नेता अपनी दावेदारी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम है मोदी सरकार में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, हालांकि राव इंदरजीत ने ट्वीट कर लॉबी वाली सभी खबरों को बेबुनियाद बताया है. वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज भी दावेदारी लागातार ठोक रहे है. जानकारी के लिए बता दें राव जहां 6 बार के सांसद और केंद्र में मंत्री हैं। वहीं विज इस बार सातवीं बार विधायक बने है.
खबरें है कि अमित शाह नहीं चाहते कि इस बार किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव हो. चुंकि इस साल जब 12 मार्च को जब खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया तब से लेकर अब तक अनिल विज खासे नाराज चल रहे है.
वहीं एक कारण मनोहर लाल की लॉबी का भी है. मनोहर लाल के पास आज कल सारे विधायक पहुंच रहे है. लेकिन सरकार चंडीगढ़ से बननी है तो अमित शाह ने अब चंडीगढ़ में डेरा डाल लिया है. यानी भाजपा व अमित शाह नहीं चाहते है कि किसी भी प्रकार की कोई लॉबी हरियाणा में पनपे, खबरें है कि वे किसी भी प्रकार से उप-मुख्यमंत्री के भी पक्ष में नहीं है. हालांकि मंत्रालयों का बंटवारा सैनी अपने हिसाब से करेंगे.