Big Breaking: नायब सिंह सैनी ने अचानक विधानसभा भंग करने की सिफारिस कर दी है. असल में विधानसभा का सत्र नहीं बुलाए जाने के कारण ही सरकार संवैधानिक संकट से निपटने के लिए विधानसभा भंग का फैसला किया है.
राज्यपाल के आदेश का इंतजार
इसकी सिफारिश राज्यपाल को भेजी जा चुकी है. अगर ये सिफारिश वे मान लेते हैं और विधानसभा भंग हो जाती है तो यह भारत देश के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब कोई सरकार सत्र नहीं बुलाए जाने की वजह से गिर जाएगी. हालांकि नायब सैनी की सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर तक है.
बता दें कि नायब सिंह सैनी की सरकार ने 13 मार्च 2024 को आखिरी बार विधानसभा का सत्र बुलाया था. औऱ अनुच्छेद 174 (1) के हिसाब से सरकार द्वारा चाहे एक हो या आधे दिन का हो सत्र बुलाए जाना अनिवार्य है. वैसे सत्र बुलाने की आखिरी डेडलाइन 12 सितंबर है. लेकिन सरकार इसे बुलाने में विफल भी रही है. चूंकी एक सरकार से दूसरी सरकार के सत्र बुलाने के बीच का कार्यकाल 6 महीने का होना चाहिए.
सरकार ने आखिर क्यों नहीं बुलाया सत्र
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं, जहां पर सरकार को बनाए रखने के लिए 46 विधायकों की जरूरत पड़ती है. 2019 में बीजेपी को 40 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन पार्टी ने उस वक्त 10 सीटों वाली जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.
मार्च में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट गया. वर्तमान में 2 विधायक रणजीत चौटाला और लक्ष्मण नापा पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं, जबकि बीजेपी ने 15 विधायकों का टिकट काट दिया है. इनमें 2 मंत्री भी शामिल हैं.
सरकार अगर अभी विधानसभा का सत्र बुलाती है तो इन विधायकों की नाराजगी खुलकर सामने आ जाती, इसलिए कहा जा रहा है कि सैनी सरकार ने विधानसभा भंग करने का ही फैसला लिया है.